प्रेम की सर्वश्रेष्ठ कविता
आदर्श प्रेम
प्यार उसी जो करना लेकिन कहकर उसे बताना क्या I
अपने को अर्पण करना लेकिन और को अपनाना क्या II
गुन का ग्राहक बनना लेकिन गाकर उसे सुनाना क्या I
मन के कल्पित भावों से औरों को भ्रम में लाना क्या II
लेना सुगंध सुमनों की तोड़ उन्हें मुरझाना क्या I
प्रेम हार पहनाना लेकिन प्रेम पाश पहनाना क्या II
त्याग अंक में पले प्रेम शिशु उसमें स्वार्थ बताना क्या I
देकर ह्रदय ह्रदय पाने की आशा व्यर्थ लगाना क्या II
हरिवंश राय बच्चन
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1 comment:
Sundar.. lekin sarvshertha nahi
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I don’t want to love you… but I do....
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